22 April 2012











कल सेटरडे नहीं है
नहीं कल फ्राइडे है
तुम्हारा पीआर काफी स्ट्रॉन्ग है
क्या तुम इस बारे में कुछ कर सकती हो
(दफ्तर की बातों में, सेटरडे मेरा वीकली ऑफ है)
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(ऑफिस में कैंटीन के रास्ते पर जाते हुए)

अरे ये लंगूर रोज यहां घुमाते हैं
 बंदर तो इतने हैं नहीं, करते क्या हैं
कहीं इसे भी नौकरी पर तो नहीं रख लिया है
इसका इम्पलॉई कोड क्या है
कहीं इसे ही हमारा.... न बना दें।
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हम भारत की जनता एक बड़े ड्रामे को बड़ी ख़ामोशी के साथ देख रहे हैं
ड्रामा राजनीति के मंच पर चल रहा है
डॉयलॉग बड़े सधे-सधे हैं
बीच-बीच में हम परेशान होते हैं
टेंशन में आ जाते हैं
फिर ज़ोर-ज़ोर से हंसते हैं
तालियां नहीं बजाते
सोचते हैं जूता बजाएं
पेट्रोल-डीज़ल-रसोई गैस बिजली-होमलोन....
इस स्क्रिप्ट में बहुत रोमांचक कहानियां हैं
ड्रामे का नाम है यूपीए गवरमेंट पार्ट 2

2 comments:

Smart Indian said...

बॉस सदा सही होते हैं! :)

Asha Joglekar said...

ड्रामे का नाम है यूपीए गवर्नमेंट भाग २ ................ सही कहा ।