16 October 2013

नया ज़माना-पुराना ज़माना


पुराना ज़माना धकियाता है
नए ज़माने को
नया इतराता है, चिढ़ाता है
पुराने ज़माने को
हमारे ज़माने में तो 
ये था-वो था
नया ज़माना ग़ौर से सुनता है
पुराने ज़माने को
नया ज़माना निकलता है जब
चमचमाती सड़क, चमचमाती गाड़ी में
पुराना ज़माना आहें भरता है
पुराना ज़माना चल लेता था कई कोस
यूं ही
नया ज़माना परचून की दुकान पर भी
गड्डी में जाता है
सुबह पहन के रिबॉक के जूते
टहलता है नया ज़माना
डायबटीज़, ब्लड प्रेशर से परेशान
नया ज़माना ट्रेड मिल पर पसीना निकालता है
पुराना ज़माना अंगोछे में पोंछता चलता था पसीना-पसीना
जब मिल बैठते हैं दोनों साथ
चौंकते हैं बात-बात पर
नया ज़माना-पुराना ज़माना

4 comments:

Smart Indian said...

तमसो मा ज्योतिर्गमय ...

दिगम्बर नासवा said...

समय के साथ पीड़ियों का ये द्वंद सदा चलता रहेगा ...

कविता रावत said...

नए और पुराने ज़माने के अंतर का सटीक चित्रण ...
बहुत सुन्दर

Madan Mohan Saxena said...

बहुत सुंदर चित्रण , भाव पूर्ण रचना , बधाई आपको ।